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Wednesday, 1 June 2016

देश की एक ऐसी जगह जहां शादी से पहले मनाते हैं सुहागरात........


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हमारे देश में एक ऐसी जगह है जहां पर शादी से पहले सुहागरात मनाई जाती है। वेस्टर्न कल्चर में इसे सामान्य माना जाता है लेकिन हमारी सभ्यता इसकी इजाजत नहीं देती। सुनने में अजीब जरूर लगता है लेकिन ये सोलह आने सच है।

ऐसी ही एक जगह के बारे में हम आपको बताएंगे जहां पर इसे सामान्य माना जाता है। वो जगह है छत्तीसगढ़ का बस्तर, इसके पास के इलाकों में एक जनजाति पाई जाती है जहां पर इसे आम बात माना जाता है। इस राज्य की एक जनजाति ऐसी है जहां शादी से पहले सुहागरात मनाई जाती है। यह जनजाति इस प्रथा को पवित्र और शिक्षाप्रद प्रथा मानती है।

इस जनजाति के लोगों का दावा है कि सिर्फ इसी प्रथा के कारण मुरिया जाति में आज तक बलात्कार का एक भी केस सामने नहीं आया है। आपको बता दें कि यह परंपरा है घोटुल। गोंड जनजाति की छत्तीसगढ़ से झारखंड तक के जंगलों में उपजाति या समुदाय मुरिया कहलाता है। मुरिया के लोगों की एक परंपरा है जिसे घोटुल नाम दिया गया है।


यह परंपरा दरअसल इस जनजाति के किशोरों को शिक्षा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया अनूठा अभियान है। इसमें दिन में बच्चे शिक्षा से लेकर घरगृहस्थी तक के पाठ पढ़ते हैं। शाम के समय मनोरंजन और रात के समय आनंद लिया जाता है। घोंटुल में आने वाले लड़के को चेलिक और लड़की को मोटियार कहा जाता है।

इस प्रथा में प्रेमी–प्रेमिका जो बाद में जीवनभर के लिए जीवनसाथी भी बनते हैं उनके चयन का तरीका भी अनूठा है। दरअसल जैसे ही कोई लड़का घोंटुल में आता है और उसे लगता है कि वह शारीरिक रूप से मेच्योर हो गया है। फिर उसे बांस की एक कंघी बनानी होती है। यह कंघी बनाने में वह अपनी पूरी ताकत और कला झोंक देता है। क्योंकि यही कंघी तय करती है कि वह किस लड़की को पसंद आएगा।


घोंटुल में आई लड़की को जब कोई लड़का पसंद आता है तो वह उसकी कंघी चुरा लेती है। यह संकेत होता है कि वह उस लड़के को चाहती है। जैसे ही वह लड़की यह कंघी अपने बालों में लगाकर निकलती है। जिससे सबको पता चल जाता है कि वह किसी को चाहने लगी है। यहां पर हर किसी लड़के-लड़की को अपने पसंदीदा साथी चुनने का अधिकार होता है।

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